MA Semester-1 Sociology paper-II - Perspectives on Indian Society - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2682
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।

उत्तर -

एम. एन. श्रीनिवास का रामपुरा का संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अध्ययन
अथवा
संरचनात्मक प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य को एम. एन. श्रीनिवास का योगदान

एम. एन. श्रीनिवास भारत के एक सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री रहे हैं। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से 1936 ई. में सामाजिक दर्शनशास्त्र में बी.ए. किया तत्पश्चात वे उच्च शिक्षा के लिए बम्बई विश्वविद्यालय चले गये। श्रीनिवास ने मैसूर के रामपुरा गाँव को अपने अध्ययन का आधार बनाया हैं। 1948 ई. में रामपुरा गाँव की कुल जनसंख्या 1,523 थी। गाँव में 19 हिन्दू जातियाँ अपने परम्परागत जातीय व्यवसाय में ही संलग्न थीं। इन जातियों में सुस्पष्ट सोपनक्रम अथवा ऊँच-नीच पाई जाती थी। प्रत्येक जाति अन्तर्विवाही थी तथा भोजन एवं सामाजिक सहवास पर लगे प्रतिबन्धों का पालन करती थी। रामपुरा गाँव में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों छूआछूत में अधिक विश्वास करती थीं। गाँव की जनसंख्या का आधा भाग कृषि पर आधारित था। कृषक या तो स्वयं मालिक या साझेदार थे अथवा श्रमिक एवं नौकर के रूप में कार्य करते थे। ओक्कलिग जाति के सदस्य ही गाँव के भूस्वामी थे। पहले ब्राह्मण भी भू-स्वामी थे परन्तु उन्होंने अपनी जमीन बेचकर नगरों की ओर जाना प्रारम्भ कर दिया था। गाँव के केवल चार स्नातकों में से तीन नौकरी करते थे तथा एक वकालत। परम्परागत रूप से ब्राह्मण तथा लिंगायत पुजारी जातियाँ थी परन्तु प्रत्येक ब्राह्मण एवं लिंगायत पुजारी का काम नहीं क्योंकि वे कृषि एवं अन्य कार्यों में भी संलग्न थे।

रामपुरा में जजमानी व्यवस्था का प्रचलन था तथा कुम्हार, धोबी और नाई कृषकों की सेवा करते थे और बदले में फसल के समय उन्हें अनाज दिया जाता था। इनके अतिरिक्त तेली, टोडी, मछुवे, गडरिए इत्यादि नौ जातियाँ भी कृषकों को अपनी परम्परागत सेवाएँ प्रदान करती थीं। इनके सम्बन्ध केवल रामपुरा तक ही सीमित न होकर अन्य गाँव तक भी फैले हुए थे। आधे अछूत परिवार कृषि का कार्य करते थे। विभिन्न जातियों द्वारा किए जाने वाले व्यवसाय में भी पद सोपानक्रम पाया जाता था। कसाइयों को सबसे निम्न माना था, जबकि ब्राह्मणों एवं लिंगायतों को उच्च स्थान प्राप्त था। धान के बदले सूखी मछलियों, सब्जियों तथा पान के पत्तों का विनियम किया जाता था। कृषकों एवं अछूतों के बीच परम्परागत मालिक एवं नौकर के सम्बन्ध विद्यमान थे। यद्यपि 'जजमान' एवं 'आसामी' के सम्बन्ध एक प्रकार से समझौते के रूप में होते थे, तथापि दोनों के सम्बन्धों में घनिष्ठता पाई जाती थी। श्रीनिवास स्वयं इस बारे में सचेत थे कि ग्रमीण संरचना में प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय तत्वों का समावेश होता रहा है और जीवन के धार्मिक क्षेत्र भी इन प्रभावों से ओत-प्रोत रहे हैं

राजनीतिक दृष्टि से ओक्कलिग प्रभु जाति थी जिसकी गाँव में यथेष्ठ जनसंख्या थी। इसी जाति के बुजर्ग व्यक्ति गाँव में न्याय एवं शान्ति व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करते थे। वे ही सभी प्रकार के पारिवारिक झगड़ों, कर्ज सम्बन्धी झगड़ों तथा विवाह सम्बन्धी मतभेदों को दूर करने का कार्य करते थे। इसी गाँव के अध्ययन में श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का भी पता लगाया। संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई निम्न जाति किसी उच्च जाति, सामान्यतया प्रभु जाति को अपना आदर्श मानकर उसके रीति-रिवाजों को अपनाने लगती है तथा कालान्तर में परम्परा से जो उसे स्थान मिला हुआ है उससे ऊँचे स्थान को प्राप्त करने का प्रयास करती है। निम्न जातियाँ संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में मांस भक्षण एवं मदिरा पान जैसी खाने की परम्परा को बदलकर शाकाहारी भोजन अपनाने लगती है। संस्कार एकीकरण सम्बन्धी प्रकार्यों की पूर्ति करते हैं। चीन की महान पुस्तक "Book of Rites" में सही लिखा है कि यह धार्मिक कृत्य जनसाधारण को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के बन्धन हैं। यदि इन बन्धनों को हटा दिया जाए तो जनसाधारण भ्रमित होकर बिखर जाएँगे।

उपयुक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि एम. एन. श्रीनिवास ने ग्रामीण सामाजिक संरचना को समझने में संरचनात्मक - प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य को अपनाया है। इनका कहना है कि यह परिप्रेक्ष्य ग्रामीण वास्तविकता को समझने में सहायक है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
  2. प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
  3. प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
  4. प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  6. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  7. प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  8. प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
  11. प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
  13. प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  14. प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  15. प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
  16. प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
  17. प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
  19. प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
  20. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
  21. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
  22. प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
  24. प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  25. प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  26. प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
  27. प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  28. प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
  29. प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
  30. प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
  31. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  32. प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  33. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
  34. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
  35. प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
  36. प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
  38. प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
  39. प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
  41. प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  42. प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  43. प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  44. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  45. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  46. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
  48. प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
  49. प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  50. प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
  52. प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
  53. प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
  55. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
  56. प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
  57. प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  58. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
  59. प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
  60. प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
  61. प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
  62. प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
  63. प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
  64. प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
  67. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  68. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  69. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
  70. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
  71. प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
  74. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
  75. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
  76. प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
  77. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।

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